देहरादून। अभी न तो कोई वैक्सीन ही आई है और न ही कोरोना की कोई नई दवा। सरकारों ने भी ऐसा कोई काम नहीं किया है जो कोरोना दुम दबाकर भागने लगे। लेकिन, उत्तराखंड में कोरोना के सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो राज्य से महामारी ने भागना शुरू कर दिया है। एक पखवाड़े पहले कोरोना के नए मरीजों के आने का जो आंकड़ा प्रतिदिन दो हजार से अधिक हो गया था, वह अब सिमटकर इसके एक चौथाई से भी कम रह गया है। इससे भी खास बात यह है कि नए मरीजों की तुलना में ठीक होने वालों की संख्या भी दो गुने से अधिक हो गई है। अब इसे जादू कहें या उत्तराखंड सरकार द्वारा कोरोना पर छपवाए गए विज्ञापनों को असर।
हम इसे जादू ही कहेंगे। क्योंकि, उत्तराखंड में जिस तेजी से आंकड़े घट रहे हैं, वह जादू से कम नहीं है। जरा 28 सितंबर और 29 सितंबर के आंकड़ों पर नजर डालें। 29 को नए मरीज आए 493 और ठीक हो गए 1413 यानी तीन गुना से भी अधिक। 28 को 457 नए मरीजों की तुलना में 1184 ठीक हुए। पिछले एक सप्ताह से यही रफ्तार है कोरोना की। अगर आंकड़े ऐसे ही रहे तो हम जल्द ही मई की स्थिति में पहुंच सकते हैं, जब पूरे राज्य में मरीजों का रोजाना का आंकड़ा इकाई में ही होता था। कोरोना की इस स्थिति को देखकर एक बहुत ही प्रेरक गीत याद आ रहा है, जिसमें बापू के लिए कहा गया है कि- दे दी हमें आजादी, बिना खड्ग बिना ढाल। ऐसे ही उत्तराखंड सरकार ने भी बिना वैक्सीन व दवा के ही कोरोना से आजादी दिलाने की ओर कदम बढ़ा दिया है। कोरोना की इस हालत से ही आपको अंदाजा होने लगा होगा कि राज्य कोई काम न होने के बावजूद विकास पर विकास कैसे हो रहा है। बेरोजगारों की भीड़ के बावजूद रोजगार पर रोजगार मिल रहे हैं। जहां घास व तिनकों (पिरुल) से भी बिजली बन रही हो वहां पावर कट पर पावर कट लग रहे हैं। जान लें कि यह ‘त्रिवेंद्र का जादू है मितवा’। देखते हैं कि 17 महीनों बाद जनता कौन सा जादू दिखाती है।