चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में तेल के दाम कम करने की मांग उठाई है। हुड्डा का कहना है कि लॉकडाउन की पाबंदियां काफी हद तक समाप्त हो चुकी हैं। सरकार की आमदनी के लगभग तमाम ज़रिए खुल चुके हैं। ऐसे में कोरोना काल और उससे पहले हुई तेल के दामों में बढ़ोत्तरी को वापिस लिया जाए। प्रदेश और केंद्र सरकार दोनों को अपने करों में कटौती करनी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत 2004 के स्तर पहुंच चुकी हैं। लेकिन, सरकार टैक्स पर टैक्स लगाकर इसे महंगा करने में लगी हैं। अब तो दिल्ली सरकार ने तेल सस्ता करने की दिशा में फैसला लेते हुए 8.36 रुपये डीज़ल के रेट कम किए हैं। हरियाणा की बीजेपी सरकार को भी तेल पर लगने वाले वैट को कम करके कांग्रेस कार्यकाल के स्तर पर लाना चाहिए। हमारे कार्यकाल में डीजल पर वैट करीब 9% था, जो बीजेपी सरकार में लगभग डबल हो गया है। इसकी सबसे ज़्यादा मार किसान पर पड़ रही है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि डीज़ल का सीधा संबंध महंगाई से है। तेल के दाम बढ़ने से आम जनता पर चौतरफा महंगाई की मार पड़ रही है। किसान की कृषि लागत बढ़ गई है। पहले से सरकारी नीतियों की मार झेल रहे किसान से आज भी कोरोना के नाम पर वसूली हो रही है। इसी बीच टिड्डी दल ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। पलवल, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुड़गांव, सिरसा, हिसार, झज्जर और सोनीपत के बाद टिड्डी दल ने रोहतक के खेतों में भी क़हर बरपाया है। किसानों की खड़ी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। लेकिन बीमा कंपनियां टिड्डी दल से हुए नुकसान का मुआवज़ा देने से इंकार कर रही हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि सरकार किसानों की मदद के लिए आगे आए और टिड्डी हमले से नुकसान की स्पेशल गिरदावरी करवाई जाए। सरकार को फ़ौरन क्षति का आंकलन कर उचित मुआवज़ा देना चाहिए। पूर्व मुख्यमंत्री ने मांग की है कि सरकार को टिड्डी हमले से बचाव के लिए होने वाले दवाई छिड़काव घोटाले की भी गंभीरता से जांच करवानी चाहिए। क्योंकि, कई जगहों से शिकायत मिली थी कि वहां दवाई के नाम पर पानी का छिड़काव करवा दिया गया। हरियाणा सरकार की तरफ से टिड्डी से बचाव के लिए हर एक किसान को सहायता राशि मुहैया करवानी चाहिए, ताकि वो अपने स्तर पर दवाई का छिड़काव कर सके। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार किसानों की परेशानियों से लगातार नज़रें चुरा रही है। बार-बार शिकायत करने के बावजूद गन्ना किसानों की करोड़ों रुपये की पेमेंट पेंडिंग है। आढ़तियों को मजदूरी का भुगतान अब तक नहीं किया गया। बारिश की वजह से प्रदेश के कई इलाक़ों में हुए जलभराव का भी कोई समाधान नहीं किया जा रहा। जलभराव की वजह से कई फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। किसान उसके लिए मुआवज़े की मांग कर रहे हैं। दूसरी तरफ हर साल इन दिनों में मिलने वाले राईस सूट भी किसानों को अब तक नहीं मिले हैं। सरकार को चाहिए कि वो वक्त रहते किसानों की इन तमाम मांगों और समस्याओं पर गौर करे।