देहरादून। उत्तराखंड में अफसरशाही इस कद हावी है कि कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की बैठक में अधिकांश अधिकारी पहुंचे ही नहीं। इससे नाराज होकर मंत्री ने बैठक को स्थबित कर दिया और अगली बैठक में अधिकारियों को पहुंचने के निर्देश दिए। यह पहला मौका नहीं है, जब अधिकारी किसी बैठक में नहीं पहुंचे हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देशों के बावजूद अधिकारियों का मंत्रियों व जनप्रतिनिधियों की अवहेलना करना स्पष्ट करता है कि सरकार की अफसरों पर पकड़ नहीं है या फिर अफसर ही इस सरकार को चलाकर मनमाफिक फैसले करा रहे हैं। भाजपा शासित अधिकांश राज्यों में ऐसी दिक्कतें हैं। हरियाणा में भी सरकार पर अफसरशाही हावी है। इन राज्यों में अफसरशाही का ऐसा जोर है कि जो अधिकारी कांग्रेस सरकारों में ताकतवर रहे, वे भाजपा की सरकारों में और भी मजबूत हो जाते हैं। इससे स्पष्ट है कि कम ज्ञान होने की वजह से भाजपा के मुख्यमंत्री और अन्य नेता अफसरों पर निर्भर हो जाते हैं और अफसर उन्हें मनमाने तरीके से चलाते हैं। लेकिन, राजनेताओें को यह बात ध्यान रखने की जरूरत है कि चुनाव उन्हें लड़ना है, अफसरों को नहीं। वे तो नई सरकार आते ही नया चोला पहनने में माहिर हैं।