देश में कोरोना संक्रमण के मामले अब बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। इसने सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है। पिछले 24 घंटों में देश में बढ़े मरीजों की संख्या बताने वाली सरकार की वेबसाइट गुरुवार सुबह आठ बजे के बाद से मौन है। इससे लग रहा है कि सरकार कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है। इस साइट के मुताबिक 23 जुलाई की सुबह आठ बजे तक देश में कोविड के 45720 नए मामले आए। जबकि, इस अवधि में 1129 लोगों की मौत हो गई। ये आंकड़े भी बताते हैं कि अनलॉक होने के बाद संक्रमण की रफ्तार बढ़ी है। चिंता की बात यह है कि अब संक्रमण उन क्षेत्रों में ज्यादा होने लगा है, जो पहले कम प्रभावित थे। नए इलाकों में टेस्ट की गति धीमी होना भी चिंता की बात है। यही नहीं संक्रमण बढ़ने की एक बड़ी वजह संदिग्ध मामलों में जांच रिपोर्ट का देरी से आना भी है, क्योंकि जब तक रिपोर्ट आती है तब तक संदिग्ध व्यक्ति अगर संक्रमित है तो वह कई लोगों को संक्रमित कर देता है और यह चेन बढ़ती जाती है। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना से बचाव के हर तरीके को अपनाकर जरा सी भी लापरवाही न की जाए। दिल्ली में पिछले कुछ दिनों से कोरोना के मामले घटते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि राज्य सरकार जांच के सही तरीके नहीं अपना रही है, जिससे बिना लक्षणों वाले लोगों को आटी-पीसीआर जांच के बिना ही घर भेजा जा रहा है। इससे संक्रमण बढ़ने का खतरा कई गुना बढ़ गया है। राष्ट्रीय राजधानी होने की वजह से वहां सभी राज्यों से लोग आ रहे हैं और संक्रमित होकर अपने घरों में भी कोरोना ले जा रहे हैं। दिल्ली की केजरीवाल सरकार कोरोना के मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है। सरकार ने सिर्फ दावे किए, लेकिन धरातल पर काम नहीं किया, जिससे दिल्ली में स्थिति अधिक खराब हुई है। प्रवासी मजदूरों के मामले में भी केजरीवाल का कदम दिल्ली के उद्योगों के लिए आत्मघाती साबित हुआ है। मजदूरों के न मिलने से राजधानी में उत्पादकता बुरी तरह प्रभावित हुई है।