देहरादून। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की बैठक में अफसरों के न पहुंचने से हुई छीछालेदर के बाद सरकार ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है। इसके लिए खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को सामने आना पड़ा है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव व अपर सचिवों को निर्देश दिया है कि वे मंत्रियों की बैठक में अनिवार्य रूप से शामिल हों और अगर किसी कारण से बैठक में आने में असमर्थ हैं तो इसकी सूचना मंत्री के सचिव को जरूर दें। सरकार की ओर से यह आदेश ही काफी है कि सब कुद ठीक नहीं है, क्योंकि प्रमुख सचिव के आदेश में कुछ भी नया या ऐसा नहीं है, जो पूर्व में न कहा गया हो। अफसरों द्वारा मंत्रियों को महत्व न देने की वजह उन्हें ऊपरी स्तर से मिल रहा संरक्षण है। यही वजह है कि प्रदेश में सरकार का काम दिख ही नहीं रहा है। मुख्यमंत्री अकेले वन मैन शो की तरह काम कर रहे हैं। इसकी वजह से धरातल पर काम की गुणवत्ता या किसी योजना की स्वीकार्यता के बारे में उन्हें वही जानकारी मिल रही है, जो अफसर दे रहे हैं। और अफसर तो वहीं बताएगा जो उसके हित में हो। प्रवासियों के लिए हाल ही में शुरू की गई योजनाएं कितनी व्यावहारिक हैं, इससे ही सरकार के काम करने के तरीके का पता चलता है।
कौशिक मामले में छीछालेदर के बाद सरकार ने की डैमेज कंट्रोल की कोशिश
